क्या आप मोटापा कम करने की दवायें ले लेकर परेशान हो गये हैं?
क्या आपको एलर्जिक कफ दमा कास श्वास की प्रोबलम रहती है व आप रोज Monolucost socium, Levocetrizine आदि अग्रंजी गोलियां खाकर अब रहे हैं पर आपकी एलर्जी व दमा नहीं जा रहे।
क्या आपको आमवात है जिसेक कारण गठिया घूटनों में दर्द पूरे शरीर में दर्द गर्दन व पीठ में दर्द होता है।
इन सबका इलाज पूज्य बापूजी के बताये सिद्ध उष्णोदक पानी प्रयोग से किजिये फिर आपको समझ में आ जायेगा कि आज भी लाखों लोग बापूजी को भगवान की तरह क्यों पुजते हैं।
सिद्ध उष्णोदक :- अग्नि पर खूब औटा कर आधे किये गये गये जल को ‘सिद्ध उष्णोदक’ कहते हैं | इससे कफ, एलर्जिक कफ दमा कास श्वास, आमदोष ( कच्चा रस ), वायुविकार गठिया घूटनों में दर्द पूरे शरीर में दर्द गर्दन व पीठ में दर्द, व मोटापा नष्ट होता है |
खाँसी, दमा व बुखार में भी राहत मिलती है | सिद्ध उष्णोदक के पान से मूत्राशय की शुद्धि होती है व जठराग्नि प्रदीप्त रहती है |
‘सिद्ध उष्णोदक’ में अनेक औषधीय गुण छिपे होते हैं, जिनसे प्राय:आम-आदमी अपरिचित रहता है।
आयुर्वेद के अनुसार किसी बर्तन में पानी को उबालने पर जब पानी से झाग आने बंद हो जाएं और पानी निर्मल हो जाए और आधा शेष बच जाए तो उसे ‘सिद्ध उष्णोदक’ कहा जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार ठंडा पानी एक प्रहर में हजम हो पाता है। एक बार गरम करके ठंडा किया हुआ पानी आधे प्रहर में हजम होता है।
हल्का गरम तथा भलीभांति उबाला हुआ पानी चौथाई- प्रहर में हजम होता है।
एक बार पानी उबाल कर ठंडा करने के बाद आपका इसका प्रयोग पुरा दिन कर सकते हैं पानी को इतना उबालना है कि ये लगभग आाधा रहा जाये फिर आप ठंडा करके पीयेगें तो भी ये ही लाभ मिलेगें मात्रा ये ही है कि जब भी प्यास लगे ये पानी पीजिये 3 दिन में ही फर्क महसूस हो जायेगा।
दिन का औटाया हुआ जल रात्रि में तथा रात का औटाया हुआ जल प्रात: तक भारी हो जाता है | अत: दिन का औटाया जल रात में और रात का औटाया दिन में नहीं पीना चाहिए |
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